शोध

मूलतः यह विभाग शोध के लिये गठित किया गया है, अतः इसमें जहाँ छात्र शोधकार्य करते हैं, वहीं प्राध्यापक भी शोधकार्य के लिये समर्पित रहते हैं। वैदिक शोधसंस्थान में संस्कृत विषय में वैदिक साहित्य को लक्ष्य बनाकर शोधकार्य किये जाते हैं। वर्तमान में विभाग में 16 छात्र शोधकार्य कर सकते हैं और प्रायः सभी स्थान भरे हुए हैं। अब तक इस विभाग से लगभग 75 छात्र शोध उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।

छात्रों के अतिरिक्त इस विभाग के प्रोफेसर भी गम्भीर शोध गतिविधियों में संलग्न रहते हैं। वर्तमान में विभाग में प्रोफेसर्स के द्वारा निम्न कार्य किये जा रहे हैं-

1. प्रो. ज्ञानप्रकाश शास्त्री

(क) पाणिनि-कृदन्त-प्रत्ययार्थकोष पर कार्य चल रहा है, जो शीघ्र ही पूर्ण होने जा रहा है।

(ख) योगदर्शन की व्यासवृत्ति को आधार बनाकर योगसूत्रों की व्याख्या की जा रही है।

(ग) गुरुकुलशोधभारती नाम से षाण्मासिक शोधपत्रिका का सम्पादन नियमित रूप से हो रहा है, अबतकउसके 23अंकप्रकाशितहोचुकेहैं।

(A) बृहद् शोधपरियोजनाएँ

(क) औपनिषदिक निर्वचन-कोषः पर कार्य पूर्ण होकर प्रकाशित हो चुका है।

(ख) महाभारत पदानुक्रम-कोषः कार्य पूर्ण गति से चल रहा है।

2. प्रो. सत्यदेव निगमालंकार

(क) नवीन वैदिक निघण्टुकोष पर कार्य चल रहा है।

(ख) चन्द्रमणिकृत निरुक्तभाष्य का सम्पादन कार्य चल रहा है।

(ग) महाभारत में आख्यात प्रयोग।

(घ) उत्तराखण्ड में संस्कृत विकास की परम्परा

3. डॉ. विजय कुमार त्यागी

(क) महाभारत-पदानुक्रम-कोषः पर कार्य चल रहा है।